छुट्टियां खत्म हो गईं। राजू को कल से स्कूल जाना है। शाम को उसने अपना बैग तैयार किया, जिसमें किताबें और कॉपियों के साथ पेंसिल बॉक्स रखा। ऐसा कई बार हो चुका है कि राजू स्कूल बैग में पेंसिल बॉक्स रखना भूल गया। मम्मी तो स्कूल के लिए आने से पहले हर बार याद दिलाती हैं कि पेंसिल बॉक्स रखा या नहीं।

पेंसिल ने शांत होकर अपनी बात रखी। पेंसिल ने कहा, मैं यह बात मानती हूं कि मेरे लिखे हुए तथ्यों को आसानी से मिटाकर बदला जा सकता है। महत्व वाले दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्ति ने लिखने की शुरुआत तो पेंसिल से ही की है। तुम अपनी खूबियां बताते हुए शायद यह भूल गए कि इंसानों को कागज पर अक्षर बनाना किसने सिखाया। पेन, मेरे पास तुमसे कहीं ज्यादा धैर्य है, वो भी खुद से ज्यादा दूसरों को आगे बढ़ाने और उनको कुछ नया सिखाने के लिए। तुम्हें यह तो मालूम होगा कि कागज पर बनी पंक्तियों के भीतर और बाहर, ऊपर और नीचे टांगे गए अक्षरों को सुधारने की छूट एक पेंसिल ही दे सकती है। गलतियों में सुधार लाकर सफलता प्राप्त करना पेंसिल ही सिखाती है। मेरी मदद से बच्चे कागज पर अपनी कल्पना को उकेरने और इसमें कभी भी बदलाव लाने को स्वतंत्र हैं। मैं उस नींव का अभिन्न हिस्सा हूं, जिस पर शिक्षा और सफलता निर्भर हैं। कोई भी चित्र को आकर्षक बनाने में पेंसिल के योगदान को जानना चाहते हो तो उसके रचनाकार से पूछो। बड़े- बड़े निर्माण, उपकरणों, यंत्रों, मशीनों के डिजाइन बनाने के लिए मुझे ही प्रयोग में लाया जाता है, पेंसिल ने कहा। इससे पहले कि पेन और पेंसिल के बीच बहस और ज्यादा बढ़ जाए, स्केल ने दोनों को शांत रहने को कहा।
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