- गाय एक मां
कश्मीर से लेकर केरल तक
तुम मेरे नाम का हल्ला मचा रहे हो। तुम मेरे नाम पर अपनी रोटियां सेंक रहे हो। कोई
सरेआम कभी मेरा तो कभी मेरे बच्चों का कत्ल करके उस गौरवशाली अतीत वाले भारत के
लोगों को दिखा रहा है,
जिसके संतों ने मेरी गाथा को पुराणों में दर्ज करके मुझे देवतुल्य
बनाया था। मुझे मारकर बीफ पार्टी मनाने वालों, तुम यह अच्छी
तरह जानते हो कि मेरा अस्तित्व कभी मिट ही नहीं सकता, भले ही
आज मुझे अपने ही देश में कूड़े में खाना तलाशने की मजबूरी क्यों न झेलनी पड़े।
मैं
जानती हूं कि तुम्हें भविष्य में अपनी संतानों को पालने के लिए मेरे दूध की तलाश
रहेगी। मैं मां हूं, इसलिए जिंदा रहूंगी, अपने नहीं तो तुम्हारे बच्चों की खातिर ही। तुम
स्वार्थी हो, इसलिए मेरे अस्तित्व को खत्म करने का दुस्साहस
नहीं करोगे, आखिर तुम्हारी राजनीति भी तो मेरे ही नाम
पर चलती है।
मेरे नाम का चंदा लेकर
अपना धंधा चमकाने वालों,
मैं तुम्हें भी उसी नजर से देखती हूं, जैसा
अपने उन बच्चों को, जिनको मैंने अपनी कोख से जन्म दिया है।
मैंने अपने बच्चों को तुम्हारी सेवा में समर्पित कर दिया और तुम्हारे बच्चों को
दूध पिलाने के लिए अपना लिया।
मैं
तुम्हारे बच्चों को पालती हूं और तुम मेरे बच्चों के साथ क्या सलूक करते हो,
यह मुझसे मत कहलाना। क्योंकि मैंने यह संकल्प लिया है कि मैं हर हाल
में रहकर दुनिया में मानवता को आगे बढ़ाऊंगी। मेरे बेटे पहले तुम्हारे खेतों को
हराभरा करके तुम्हारे कोठारों तक अन्न पहुंचाते थे। अब
तुम आधुनिक हो गए हो, इसलिए मेरे बेटे तुम्हारे लिए पराये।
उनको जन्म लेने के बाद सड़कों पर भटकने की पी़ड़ा झेलनी पड़ रही है।
क्या तुमने
कभी उनको इस नजर से देखा है कि वो अपने हिस्से का दूध तुम्हारे बच्चों के लिए
छोड़कर भूखे प्यासे धूप में, बारिश
में सड़कों पर घूम रहे हैं। अगर तुम में जरा भी शर्म बची है तो उनका सरेआम कत्ल
करना छोड़ दो। मैं और मेरे जैसे तमाम पशु जो इंसानों के साथ रहते हैं, का इंसानियत पर से विश्वास उठ जाएगा। हम पशु हैं और पशुता के धर्म को ठीक
इंसानियत जैसा व्यवहार करके निभा रहे हैं। हम पशु होकर इंसानियत का साथ दे रहे हैं
तो तुम किस वजह से इंसानियत से हटकर हैवानियत के साथ मिल गए।
वजह साफ है तुम
हैवानियत दिखाकर इंसानों में ही दहशत बनाना चाहते हो, क्योंकि
तुमको खौफतंत्र से इंसानों पर राज जो करना है। तुम तो दहशतगर्द हो, लोकतंत्र पर तुम्हारा विश्वास ही कहां है।
मैं तुमसे यह सब इसलिए
नहीं कह रही हूं कि मुझे और मेरे बच्चों को तुम से डर लगता है। हम तो भारत के पावन
पुराणों में रचे बसे वो पात्र हैं, जिन्होंने ऋषि-मुनियों और
देवताओँ को आसुरिक शक्तियों पर विजय के लिए तन और मन की ताकत दी थी। हमारा अतीत
स्नेह और ममता के साथ बलिदान और त्याग का भी है।
मुझको धर्मों में बांटने
वालों,
मेरे एक सवाल को जवाब दो, क्या मैंने तुमसे
कभी यह कहा है कि मेरा दूध किसी धर्म या जाति विशेष के लोगों को ही पिलाना,
क्योंकि वो मुझे मां कहते हैं। मैंने तो कभी धर्मों में भेद नहीं
समझा। जो चाहे मेरा दूध पीकर पल जाए, मेरा तो हमेशा से यही
ध्येय रहा है। तुम मुझे धर्मों और राजनीतिक दलों में क्यों बांटते हो। मैंने तो
इंसान को दूध पिलाया है और उससे चाह रखी है कि वो दुनिया में इंसानियत को आगे
बढ़ाए, लेकिन आज मुझे खुद को मां कहलाने पर दुख होता है,
क्योंकि मेरा दूध इंसानियत से ज्यादा हैवानियत को पालने पोसने वालों
की सेहत बना रहा है , उनकी ताकत बढ़ा रहा है। भले ही यह ताकत
शारीरिक हो या सियासी।
भारत
में जगह-जगह मेरी कत्लगाह बनाकर बीफ पार्टी देने वालों, मेरे
नाम पर अराजनीति मत करो। क्या तुम चाहते हो कि मेरी पूंछ पकड़कर घिनौनी वैतरणी पार
कर जाओगे। अगर तुम ऐसी मंशा रखते हो तो यह तुम्हारी भूल है। तुम सत्ता पाने के बाद
भी उसी घिनौनी वैतरणी में गोते खाओगे, जैसे अब और आज से पहले
खा रहे थे, क्योंकि सत्ता तक पहुंचने या इसके इर्द गिर्द
भटकने का तुम्हारा अति लालच कभी खत्म नहीं होगा, बल्कि अंतिम
सांस तक बढ़ता ही जाएगा। मेरे नाम पर शोर मचाने वालों
क्या तुमने मुझे कूड़े में दिनरात तड़पने की पीड़ा से बाहर निकाला है। वो तो भला
हो कुछ लोगों का जो मेरे नाम पर रोटियां नहीं सेंकते, बल्कि
मेरे नाम की पहली रोटी निकालकर मेरी सेवा में दिनरात एक करते हैं। मैं रोटी कम
खाती हूं, मुझे चारा खिलाओ तो मेरे में कुछ जान आ जाए।
सुना
है कि भव्य पंडालों में ऊंचे आसनों पर बैठकर मेरी कथाएं सुनाई जा रही हैं। गोलोक
की रटी रटाई कथा सुनाने वालों, इस भूलोक का भी हाल जान लो।
गाय और उसकी कथा को पैसा कमाने का जरिया मन बनाओ। कथा सुनकर और सुनाकर तब तक कुछ
नहीं हो सकता, जब तक मेरी अपने भारत में ही दशा न सुधर जाए।
हम गोवंशी भटक रहे हैं और तुम हमारी गाथाएं सुनाकर मटक रहे हो। अगर वाकई गोवंश के
सच्चे हितैषी हो तो सड़कों से उठाकर गोवंश को आसरा क्यों नहीं देते। मेरे नाम पर
जितना पैसा भव्य पंडालों और भंडारों पर खर्च करते हो, उससे
तो कई गोवंशों के महीनोंभर तक पेट भर सकते हैं।
आखिर में मुझे तुमसे एक ही बात कहनी है, मानना या न मानना तुम्हारी इच्छा। मेरे नाम का इस्तेमाल मत करो। अगर ऐसा ही होता रहा तो एक दिन तुमको अपने बच्चों के लिए दूध नहीं मिल पाएगा। दूध ही नहीं कुछ भी ऐसा नहीं मिल पाएगा, जो उनको ताकत देता है। मेरे लिए नहीं अपने बच्चों के लिए ही सही, इंसानियत का रास्ता अख्तियार करके पशुओं को मोहरा बनाना बंद कर दो।
Comments
Post a Comment