क्यों जरूरी है रंगों की दुनिया

प्रकृति से बड़ा चित्रकार कोई नहीं है और न ही कोई निर्माता और निर्देशक। उसने ही खूबसूरत दुनिया, सूरज, चांद और सितारों को रचा है। पूरे ब्रह्मांड में न जाे कितने तरह की और भी रचनाएं होंगी। प्रकृति के न जाने कितने रहस्य हैं। प्रकृति नहीं होती तो विज्ञान भी नहीं होता और न ही उसके अविष्कार। हमारी सारी क्रिया, प्रतिक्रिया सब कुछ उसके नियमों से संचालित हैं। अगर प्रकृति पूरी दुनिया को एक ही रंग से रंग देती तो क्या होता। पेड़, पौधे, नदियां, पहाड़, फल, फूल, पत्ते, पशु, पक्षी और न जाने कितनी तरह की रचनाएं, सभी एक ही रंग की होती। सभी व्यक्तियों का एक ही कद होता, एक ही रंग और एक ही शक्ल। केवल एक ही तरह के पक्षी होते और एक ही तरह के पशु। ऐसी रचना करने वाली प्रकृति को क्या महान रचनाकार नहीं कहा जाता। फिर ऐसी जरूरत ही क्या थी कि अलग-अलग रंगों, आकार और आकृतियों की। 

अगर मान लिया जाए कि वास्तव में ऐसा होता तो क्या हम धरती के लोग उदास और नीरस हो जाते। हमें अपनी जिंदगी से प्यार नहीं होता। कुछ नयापन नहीं होता और न ही कोई नई पहल और न ही नये विचार। आप इमेजन कीजिए ऐसी दुनिया को। क्या आपके मन और मस्तिष्क में ताजगी और ऊर्जा का संचार हुआ, मुझे लगता है शायद नहीं। इसी तरह जीवन भी चलता है। लगातार वर्षों से एक जैसी लाइफ स्टाइल जीते हुए आप बोर हो जाते हैं। घर से दफ्तर और फिर दफ्तर से घर और फिर दफ्तर...। कहते हैं परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है। सालभर एक जैसा मौसम रहे तो क्या अच्छा महसूस करेंगे। गर्मियों में अधिकतर लोग कहते हैं, कहीं से कुछ ठंडक मिल जाए और सर्दियों में धूप में बैठे लोग दिख जाते हैं। बरसात में अलग तरह की परेशानी झेलते हैं। अगर, ये मौसम न हो और एक जैसा वातावरण रहे तो शायद अच्छा नहीं लगेगा। 

जीवन में परिवर्तन और विविधता बहुत जरूरी हैं। यह विविधता चाहे मौसम की हो, भौगोलिक हो या फिर सामाजिक, सांस्कृतिक या फिर जैव विविधता। मैं फिर उसी बात पर आता हूं, विविधता हमें पसंद है और तरह-तरह के रंग अपनी ओर आकर्षित करते हैं। हम प्रकृति की रचनाओं का आनंद लेना चाहते हैं। हमारे लिए प्रकृति ने अपनी कृतियों में रंग भरे हैं और वो भी इतनी तरह के, हम कल्पना भी नहीं कर सकते। वो चाहती है कि उसके विविध रंग और रूपों को देखकर इंसान हर समय सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर रहे। वो दुनिया के लोगों से नयेपन और अभिनव पहल की उम्मीद करते हैं। चाहती है कि दुनिया तरक्की करे और खुद को संवारने में जुट जाए।

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