यहां तो सरकार की भी कोई नहीं सुनता साब !

अब तो डोईवाला से देहरादून जाते में डर लगने लगा है। मुझे डोईवाला से देहरादून तक बाइक पर चलते हुए वर्षों बीत गए। पता नहीं कब बनेगा यह फोर लेन और मोहकमपुर का फ्लाईओवर। लगता है मेरे जैसे 40 पार के लिए तो यह सुविधाएं नहीं हैं। हम तो केवल इसके निर्माण के साक्षी बन रहे हैं और गड्ढों से दो चार होकर बीमार हो रहे हैं। 

मोटरसाइकिल के ब्रेक लगाते , गड्ढों में बाइक उछालते हुए पूरा रास्ता बीत रहा है। मेरे लिए डोईवाला चौक से शूरू हो जाता है गड्ढों वाले हाईवे का सफर। कमर में दर्द होने लगा इस कथित हाईवे पर बाइक चलाते-चलाते। घुटनों के जोड़ हिलने लगे। बाइक से मात्र 20 किलोमीटर की दूरी बहुत दर्द दे रही है। 

मोहकमपुर का फ्लाईओवर धूल फंकवाता है या फिर गीली मिट्टी में बाइक फिसलवाता है। कब बाइक स्लिप हो जाए पता ही नहीं चलेगा। आगे बढ़ने की होड़ में आगे बढ़ती बड़ी गाडि़यों के बीच फंसने वाले बाइक सवारों के लिए मात्र दो किलोमीटर का यह सफर खुद को किसी बड़े रिस्क में झोंकने जैसा है। आईआईपी के गेट नंबर से दो से लेकर मोहकमपुर पेट्रोलपंप तक बिना रुके, राजी खुशी पहुंचना बड़ा काम है। 

अक्सर बंद रहने वाला रेलवे फाटक आपको रोक देगा और फिर सैकड़ों गाड़ियों को निर्माणाधीन ओवर ब्रिज के पास संकरे रास्ते से गुजरने के लिए मजबूर करेगा। अभी कुछ दिन पहले फाटक खुलने पर गाड़ियां आगे बढ़ ही रही थीं कि पुलिस ने रोक दिया। करीब दस मिनट तक जाम में फंसी रहीं सौ से ज्यादा छोटी बड़ी गाड़ियां। 

पुलिस वाले किसी वीवीआईपी को देहरादून से डोईवाला की ओर रवाना करने के लिए रास्ता बना रहे थे। अपने ही किसी बड़े अफसर को ट्रैफिक में फंसने से बचाने के लिए हजारों लोगों को दस मिनट से ज्यादा रोके रखा। पुलिस ने अपने इन साहब की फ्लीट को रांग साइड से पार कराया। उनके क्रासिंग पार करने के बाद ही रास्ता खुला। 

बहुत कष्ट हो रहा है इस हाईवे पर। यह तकलीफ किसी मर्ज की तरह बढ़ती जा रही है। सरकार ने करीब दो माह पहले अफसरों का आदेश दिए थे कि सड़कों को गड्ढा मुक्त कर दो, लेकिन लगता है कि सरकार की भी कोई नहीं सुनता। अफसरों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। सरकार को अपने आदेश याद दिलाने के लिए दुर्घटनाओं का इंतजार रहता है। सामान्य तौर पर सरकार को भी ये गड्ढे नजर नहीं आते। 

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