इंसानों से कम नहीं रंग बिरंगे फूल

बुजुर्ग माली घर के बाहर बागीचे में पौधों की सेवा में व्यस्त हैं। आवाज आती है, बाबा क्या मुझसे बातें करोगे। माली ने पीछे मुड़कर देखा तो डहेलिया का फूल उनसे बातें करने के लिए लालायित है। माली ने कहा, हां कहो, क्या कहना चाहते हो। फूल ने कहा, कल कुछ लोग मुझे देखकर बहुत खुश हो रहे थे। वो मेरी फोटो खींच रहे थे। बार-बार मेरी तारीफ कर रहे थे। अपनी प्रशंसा से मैं काफी खुश हूं। 

मेरी समझ में यह नहीं आ रहा है कि अलग-अलग रंगों और पत्तियों वाले फूलों की उपयोगिता केवल इतनी ही है कि लोग उनको देखकर खुश हों और फिर अपनी राह चले जाएं। हम और क्या कर सकते हैं। हमारा मन भी करता है कि इस बागीेचे से बाहर जाकर देखें कि क्या हो रहा है। हमेशा यह डर भी लगा रहता है कि कोई हमें तोड़कर किसी को गिफ्ट कर देगा या फिर मंदिर में चढ़ा देगा।

माली ने फूल से कहा, संसार में तुम्हारी उपयोगिता इंसानों से कम नहीं है। फूल तुम प्रकृति के आभूषण हो। मैं जब भी तनाव में होता हूं तो तुम्हें देखकर अपने कष्ट भूल जाता हूं। मैं अक्सर यह सोचता हूं कि तुम इतने खूबसूरत कैसे हो। तुम्हारे भीतर तरह-तरह के रंग किसने भरे हैं। तुम्हारा रूप, रंग मुझे सुकून देता है। बच्चे से लेकर बूढ़े तक तुम्हें पसंद करते हैं। इंसान किसी की खूबसूरती को जाहिर करने के लिए तुम्हारा सहारा लेते हैं। वो अक्सर यह कहते हैं तुम्हारा चेहरा फूल सा खिला है। एक इंसान की जिंदगी में तुम्हारा महत्व जन्म से लेकर मृत्यु तक रहता है। मृत्यु के बाद भी तुम्हारी जरूरत है। क्या अब भी कहोगे कि तुम्हारी उपयोगिता नहीं है।


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