वो सबको जीना सिखा रही...


कुछ दिन पहले मैं किसी काम से एक दफ्तर गया था। कामकाज निपटाने के बाद दफ्तर से बाहर आया तो एक पक्षी की चतुराई ने मुझे चौंका दिया। दुर्भाग्य से मैं उस नजारे को रिकार्ड नहीं कर पाया, लेकिन वहां जो कुछ देखा और समझा उसे आपसे साझा कर रहा हूं। दफ्तर के सामने खाली मैदान में बारिश का पानी जमा था। मेरी नजर वहां मौजूद एक कौए पर पड़ी, जो कहीं से रस्क का टुकड़ा लेकर आया था।

सख्त होने की वजह से शायद वो उसको खा नहीं पा रहा था। कौए ने दिमाग का इस्तेमाल किया और चोंच में दबाए उस सूखे व सख्त टुकड़े को पानी में डाल दिया। कुछ देर इंतजार किया और पानी से नरम हो चुके उस टुकड़े को देखते ही देखते खा लिया। यह घटना मुझे वर्षों पहले क्लास दो या तीन में पढ़ी उस कहानी की ओर ले गई, जो एक कौए के घड़े में कंकड़ डालकर पानी का लेवल ऊपर लाकर प्यास बुझाने की है। तब से ही मैं  कौए को चालाक पक्षी के रूप में जानता हूं, लेकिन मैंने कभी कौए की चालाकी को प्रत्यक्ष रूप से नहीं देखा था।

इस घटना ने मेरे सामने यह सवाल खड़ा कर दिया कि पक्षियों और अन्य जीवों को कौन सिखाता है। क्या ये सभी हम इंसानों को देखकर सीखते हैं। मैंने डॉगियों, तोतों, बंदरों, भालुओं, यहां तक सर्कस में शेरों व हाथियों को इंसानों के निर्देशों पर करतब करते देखा है, लेकिन कभी कौए से यह उम्मीद नहीं की थी। वो भी उस कौए से जो किसी से नहीं सीखता। न तो वो सर्कस में काम कर रहा था और न ही उसको कहीं से किसी से कुछ सीखते देखा था।

जहां तक मेरी समझ में आया कि इन जीवों के जीवन में भी आवश्यकता अविष्कार की जननी है, बात पूरी तरह फिट बैठती है। कौए को जरूरत महसूस हुई और उसने रस्क को खाने के लिए नरम करने का उपाय तलाश ही लिया। इसी तरह छोटी छोटी चिड़ियां बिल्डिंगों में अपने घोसले बनाने के लिए तिनके लेकर आती हैं। वो सैकड़ों चक्कर लगाकर लाए गए तिनकों से अपना घर बनाने का प्रयास करती हैं। उनको यह भी पता रहता है कि कौन सा तिनका लगाने से उनका घोसला सुरक्षित और आरामदायक होगा।

जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए क्या किया जाए और क्या नहीं करना चाहिए, इंसानों की तरह जीवों को भी पता है। भले ही उन्होंने किसी खास तकनीकी को नहीं पढ़ा है, लेकिन फिर भी उनको पता है कि संघर्ष और शांति के दिनों में कैसा रहा जाता है। परेशानियों और सुविधाओं का अहसास उनको भी होता है।
कुल मिलाकर मेरा कहना है कि इंसानों की तरह हर जीव प्रकृति से सीखता है, चाहे वो कितना बड़ा हो या फिर बहुत छोटा। इसलिए प्रकृति और उसकी सौगात को नुकसान न पहुंचाए तो बेहतर होगा। क्योंकि वो केवल जीना ही नहीं सिखाती बल्कि जीने के लिए आवश्यक संसाधनों का एकमात्र स्रोत भी वही है।






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