लुभाते फूल, मुस्कराते फूल और कुछ सिखाते फूल

सुबह घर से स्कूल आते समय मुझे बहुत अच्छा लगता है, क्योंकि यह वह समय होता है जब आप फुर्ती और ताजगी से भरे होते हैं। स्कूल में प्रवेश करते ही मुझे दिखाई देती है फूलोें की बगिया। रंग बिरंगे मुस्कराते फूल, कोई बड़ा और कोई छोटा। कोई आसमां छूने के लिए बेताब तो कोई हरियाली के बीच से बाहर की ओर झांकता हुआ, नजर आता। कोई कहता मैं सबसे सुंदर, कोई कहता मेरी ओर देखो, कितने सारे रंग हैं मेरे पास। देख रहो हो न मुझे, मैं कितना प्यारा लग रहा हूं। कुदरत ने मुझे बड़ा मन लगाकर बनाया है, धरती की शोभा बढ़ाने के लिए। कलियां तो मानो यह कह रही हैं कि देखना एक दिन हमारा भी आएगा और तुम हमें देखकर कहोगे, वाह कितने खूबसूरत लग रहे हैं ये फूल। 

फूलों को देखते ही तन और मन ताजगी से भर आते हैं। मैंने सुना है, जब तन और मन में उत्साह हो तो सबकुछ अच्छा लगता है, पढ़ाई के साथ हर वो एक्टीविटी जो हमें स्कूल में कराई और सिखाई जाती है। हां, खेलकूद भी। मुझे अब महसूस होता है कि फूल केवल किसी परिसर और भवन का आकर्षण ही नहीं बढ़ाते, बल्कि अपने पास रहने वाले लोगों को कुछ नया करने का आइडिया भी देते हैं। 


मैंने माली जी से कहा, आप इन फूलों के साथ बहुत मेहनत करते हो। मैं आपको अक्सर फूलों के पास देखता हूं। कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि आप इनसे बातें करते हो। समय पर खाद, मिट्टी तैयार करना, बीज, पौधे लगाने से लेकर समय-समय पर पानी देना। खराब पत्तियों को हटा देना, पौधे के पास साफ सफाई रखना, धूप और छांव का ध्यान रखना, कीटों से बचाकर रखना, यह सब काम आप फूलों को खिलाने के लिए करते हो। आप इनका ठीक उसी तरह ख्याल रखते हो, जैसे कोई बच्चों का। क्या आपका महत्व फूलों को खिलाने और उनको आकर्षक बनाने तक ही है या इनमें आप इससे भी ज्यादा कुछ और देखते हैं। 

माली जी से बात करके मुझे अपने इस सवाल का जवाब मिल गया कि किसी भी स्कूल में फूलों की बगिया होना, क्यों जरूरी हैं। फूलों से हम क्या सीखते हैं। माली जी ने कहा, मैं फूलों के साथ माता-पिता और शिक्षक दोनों तरह की भूमिका निभाता हूं। माता पिता अपने बच्चों की परवरिश में कोई कमी नहीं छोड़ते। बच्चों की हर सुविधा का ध्यान रखते हैं। वहीं स्कूल में शिक्षक बच्चों की शिक्षा से लेकर उनकी रचनात्मकता को बढ़ाने, अच्छे बुरे का ज्ञान कराने, अनुशासन में रहने, कुछ नया करने के लिए प्रेरित करने, उनकी कमियों को दूर करने, उनको सफलता की ओर बढ़ाने का प्रयास करते हैं। ठीक इसी तरह पौध रोपने से लेकर अलग-अलग रंगों, फूलों को पूरे आकार में खिलाने और आकर्षक दिखाने का काम माली करता है। फूलों ही नहीं, वो उनके पौधों और पत्तियों को संवारने का काम भी करते हैं। मुरझाने वाले फूल पौधों को खिलाने, संवारने के लिए उनका प्रयास ठीक किसी शिक्षक की तरह होता है, जो अपने छात्र को सही दिशा में लाने के लिए हरसंभव प्रयास करते हैं। 

मेरे स्कूल परिसर में फूलों का बसंत है, जो अपने छात्र-छात्राओं को यह सिखाने और बताने का प्रयास है कि आपका मन और तन फूलों की तरह सुंदर और ताजगी से भरपूर हो, तभी तो कुछ अभिनव कर सकोगे, तभी तो आप सफलता की ओर बढ़ सकोगे, तभी तो आप में आसमां को छूने की बेताबी होगी, तभी तो आपका जीवन खुशियों से महक उठेगा। वो भी बिना तनाव के, क्योंकि फूल तनाव से दूर रखते हैं। अब मेरी समझ में आया कि मेरे स्कूल ने फूलों की बगिया क्यों बनाई है। 

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