आने वाले 50 साल में ऑक्सीजन की तरह जीने के लिए इंटरनेट डेटा की जरूरत भी होगी। फिर एक स्लोगन होगा- डेटा चाहिए तो एन्वायन्मेंट को स्वच्छ रखो, ताकि बिना किसी बाधा के घर और दफ्तर के कामकाज किए जा सकें। वाटर, इलेक्ट्रीसिटी की तरह डेटा सप्लाई भी अहम जरूरत बन जाएगा । सरकार डेटा प्रबंधन और उसकी फिजूलखर्ची की मॉनिटरिंग करेगी। डेटा फ्री में होगा, लेकिन इसको बचाने के लिए एन्वायरन्मेंट को बनाए रखना भी जरूरी होगा।
साफ पर्यावरण से नेट डेटा मिलेगा। अगर स्पीड चाहिए तो गांवों की ओर दौड़ लगानी होगी, क्योंकि वहीं स्वच्छ वातावरण मिलेगा और नेट की स्पीड भी तेज होगी। डेटा बहुत जरूरी हो जाएगा, क्योंकि इसके बिना दफ्तर तो क्या घर का कोई काम भी नहीं हो सकेगा। डेटा पर निर्भरता इस तरह होगी कि किचन में स्टोव से लेकर हर टूल नेट पर निर्भर हो जाएगा।
आपका सवाल होगा कि स्टोव और इंटरनेट का क्या संबंध। हम बताते हैं कि स्टोव जलाने के लिए गैस की सप्लाई सिलेंडरों और पाइप लाइन से नहीं होगी, तब डेटा का जमाना होगा और डेटा ही स्टोव को हीट देगा। यह हीट कहां से आएगी। इस सवाल का सीधा सा जवाब है, जैसे आपके मोबाइल और कंप्यूटर स्क्रीन तक इंटरनेट डेटा अपनी पहुंच बनाता है, उसी तरह स्टोव तक हीट के बंडल भी पहुंचेंगे।
हीट के बंडल को स्टोव से लिंक करने में इंटरनेट डेटा और गैस कंपनी से मिले पासवर्ड की जरूरत होगी। पासवर्ड फीड करते ही स्टोव काम करना शुरू कर देगा। पानी और बिजली की सप्लाई भी पासवर्ड से होगी। हां, हीट के बंडलों का पेमेंट करना होगा। सबसे खास बात यह कि ये हीट पैकेट पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे।
सबकी जिंदगी इंटरनेट डेटा पर डिपेंड हो जाएगी और डेटा स्वच्छ पर्यावरण के बिना मिल नहीं सकेगा। ऐसे में पर्यावरण को साफ करने में दिन रात एक कर दिया जाएगा। सभी अपने घरों और आसपास पर्यावरण को साफसुथरा बनाने में जुटे होंगे। इसलिए स्वच्छता का अभियान चलाने की जरूरत ही नहीं होगी और न ही स्वच्छता को कोई अपनी सियासी ताकत बनाने की कोशिश कर रहा होगा। अघोषित तौर पर ही सही, स्वच्छता के बिना न वाटर सप्लाई होगी, न ही इलैक्ट्रीसिटी मिलेगी और न ही खाना पकाने के लिए गैस घर तक पहुंचेगी, क्योंकि सब तो डेटा पर डिपेंड होगी और डेटा साफ सफाई पर। ( तकनीकी दुनिया पर लिखी जा रही किताब का एक अंश)
साफ पर्यावरण से नेट डेटा मिलेगा। अगर स्पीड चाहिए तो गांवों की ओर दौड़ लगानी होगी, क्योंकि वहीं स्वच्छ वातावरण मिलेगा और नेट की स्पीड भी तेज होगी। डेटा बहुत जरूरी हो जाएगा, क्योंकि इसके बिना दफ्तर तो क्या घर का कोई काम भी नहीं हो सकेगा। डेटा पर निर्भरता इस तरह होगी कि किचन में स्टोव से लेकर हर टूल नेट पर निर्भर हो जाएगा।
आपका सवाल होगा कि स्टोव और इंटरनेट का क्या संबंध। हम बताते हैं कि स्टोव जलाने के लिए गैस की सप्लाई सिलेंडरों और पाइप लाइन से नहीं होगी, तब डेटा का जमाना होगा और डेटा ही स्टोव को हीट देगा। यह हीट कहां से आएगी। इस सवाल का सीधा सा जवाब है, जैसे आपके मोबाइल और कंप्यूटर स्क्रीन तक इंटरनेट डेटा अपनी पहुंच बनाता है, उसी तरह स्टोव तक हीट के बंडल भी पहुंचेंगे।
हीट के बंडल को स्टोव से लिंक करने में इंटरनेट डेटा और गैस कंपनी से मिले पासवर्ड की जरूरत होगी। पासवर्ड फीड करते ही स्टोव काम करना शुरू कर देगा। पानी और बिजली की सप्लाई भी पासवर्ड से होगी। हां, हीट के बंडलों का पेमेंट करना होगा। सबसे खास बात यह कि ये हीट पैकेट पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे।
सबकी जिंदगी इंटरनेट डेटा पर डिपेंड हो जाएगी और डेटा स्वच्छ पर्यावरण के बिना मिल नहीं सकेगा। ऐसे में पर्यावरण को साफ करने में दिन रात एक कर दिया जाएगा। सभी अपने घरों और आसपास पर्यावरण को साफसुथरा बनाने में जुटे होंगे। इसलिए स्वच्छता का अभियान चलाने की जरूरत ही नहीं होगी और न ही स्वच्छता को कोई अपनी सियासी ताकत बनाने की कोशिश कर रहा होगा। अघोषित तौर पर ही सही, स्वच्छता के बिना न वाटर सप्लाई होगी, न ही इलैक्ट्रीसिटी मिलेगी और न ही खाना पकाने के लिए गैस घर तक पहुंचेगी, क्योंकि सब तो डेटा पर डिपेंड होगी और डेटा साफ सफाई पर। ( तकनीकी दुनिया पर लिखी जा रही किताब का एक अंश)
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